भारत के संविधान में कहीं भी बजट शब्द का उल्लेख नहीं है | Budget 2022
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- Rajeev Sharma
- 02/02/2022
- Business
भारत के संविधान में कहीं भी बजट शब्द का उल्लेख नहीं है.
फ्रेंच के शब्द Bougette (बूज़ेट) से बना है बजट
बजट असल में फ्रेंच के एक शब्द Bougette (बूज़ेट) से बना है, जिसका मतलब होता है चमड़े का थैला. और सबसे अहम बात, भारत के संविधान में कहीं भी बजट शब्द का उल्लेख नहीं है. संविधान के अनुच्छेद 112 में इसके लिए वार्षिक वित्तीय विवरण शब्द का इस्तेमाल किया गया है. यानी आप कह सकते हैं कि, अंग्रेज़ चले गए लेकिन बजट शब्द भारत में ही छोड़ गए. जब भारत अंग्रेज़ों से आज़ाद हुआ, तब पहली बार 26 नवम्बर 1947 को आर.के. शनमुखम चेट्टी ने देश का बजट संसद में पेश किया था. आर.के. शनमुखम चेट्टी आज़ाद भारत के पहले वित्त मंत्री थे और वो उस समय बजट पढ़ने के लिए एक Briefcase के साथ संसद पहुंचे थे.
भारत का पहला बजट वर्ष 1860 में पेश हुआ
अब हम आपका परिचय उस बजट से कराएंगे, जो आज देश की संसद में पेश किया जाएगा. भारत का पहला बजट वर्ष 1860 में पेश हुआ. उस समय ब्रिटेन के मशहूर अर्थशास्त्री James Wilson ने इस बजट को पेश किया था, जो East India Company के Financial Advisor भी थे.
राष्ट्रपति तय करते हैं, कौन पढ़ेगा आम बजट
26 जनवरी 1950 को जब भारत का संविधान लागू हुआ और भारत एक गणतंत्र देश बना तब जॉन मथाई ने संसद में बजट पेश किया था. वो रेल मंत्री थे. असल में भारत में वित्त मंत्री ही बजट पेश करेगा, इसका कोई तय प्रावधान नहीं है. देश के राष्ट्रपति ये तय करते हैं कि संसद में आम बजट कौन पढ़ेगा. भारत में आम बजट की यात्रा काफ़ी लम्बी रही है. पहले देश के वित्त मंत्री ब्रीफकेस के साथ संसद पहुंचते थे. इंदिरा गांधी ने भी वित्त मंत्री रहते हुए देश का आम बजट पेश किया. और ये बात 1970 की है..जब मोरारजी देसाई ने उनकी सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया था. हालांकि मोरारजी देसाई 10 बार सबसे ज्यादा आम बजट पेश करने वाले देश के नेता हैं. उनके बाद पी. चिदंबरम 9 बार, प्रणब मुखर्जी 8 बार और यशवंत राव चह्वाण, सीडी देशमुख और यशवंत सिन्हा भी सात-सात बार आम बजट पेश कर चुके हैं. इसके अलावा मनमोहन सिंह और टी.टी. कृष्णमाचारी ने भी 6-6 बार बजट पेश किया था.
150 से भी ज्यादा वर्षों से पुरानी परम्परा
मौजूदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को सुबह 11 बजे देश का बजट संसद में पेश करेंगी. लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि, भारत का बजट हमेशा से सुबह 11 बजे पेश नहीं होता था. वर्ष 1860 में गुलाम भारत का पहला बजट शाम पांच बजे पेश हुआ था. और इसके पीछे वजह ये थी कि Indian Standard Time के अनुसार जब भारत में शाम के पांच बज रहे होते थे, तब ब्रिटेन में सुबह के 11 बजे का समय होता था. यानी भारत का बजट ब्रिटेन के समय अनुसार पेश होता था. और ये परम्परा 150 से भी ज्यादा वर्षों तक जारी रही.
1999 में बदली गई यह परम्परा
आज़ादी के बाद हमारे देश के नेता, Copy Paste के सिद्धांत पर चल रहे थे और इसीलिए वर्ष 1947 से 1998 तक भारत का बजट ब्रिटेन के मुताबिक़.. शाम 5 बजे ही पेश होता रहा. हालांकि 1999 में इस परम्परा को बदला गया और पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने बतौर वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने भारत का आम बजट सुबह 11 बजे पेश किया. हालांकि, उस समय हमारे देश ने बजट को पेश करने का समय तो बदल लिया लेकिन इसे पेश उसी तारीख़ को किया जाता रहा, जब अंग्रेज़ करते थे. और वो तारीख़ थी 28 फरवरी. वर्ष 2017 में केन्द्र की मोदी सरकार ने इसे एक फरवरी को पेश करने का फैसला किया. क्योंकि 28 फरवरी को बजट पेश होने से इसे एक अप्रैल तक लागू करने में कई परेशानियां आती थीं. लेकिन आज़ादी के बाद भारत के जो नेता अंग्रेज़ों से प्रभावित थे, उन्होंने इस समस्या को कभी समझा ही नहीं.
बजट के बारे में तीन और ज़रूरी बातें
-वर्ष 2017 से पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था, लेकिन 2017 में इसे आम बजट में मिला दिया गया.
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