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भाजपा Vs किसान, किसानपुत्र, मोदी-योगी मुर्दाबाद
- 102 Views
- Rajeev Sharma
- 15/09/2021
- Politics
भाजपा Vs किसान
रात को 12:30 बजे लाइट आई,
चौधरी साहब जगे फिर घरवाली को जगाकर कहा कि उठ जा,थोड़ी सी चाय बना दे, मैं गेहुंओ में पानी दे आऊं।
घरवाली उठी , चाय बनाने रखी और वापस कमरे में आकर कहा- विशाल को भी ले जाना साथ मे।
चौधरी साहब- देखले अगर उठता हो तो।
चौधरन ने अपने बेटे की खाट के पास जाकर आवाज लगाई- विशाल !उठ जा,खेत मे पानी चलेगा,तेरे पापा जा रहे हैं।
विशाल ने रजाई में थोड़े और पैर सिकोड़ लिए।
माँ बोलते हुए चली गई- उठ जा जल्दी,पापा के साथ खेत मे जाइये।
चौधरी साहब ने चाय पी,चादर लपेटी,मोटरसाइकिल स्टार्ट करके जाने लगे।
चौधरन ने कहा- विशाल कु तो ले जाओ!
चौधरी साहब- जब नही उठता तो क्या करें,पड़ा रहन दे यहीं।
चौधरी साहब खेत की तरफ बढ़ गये।
माँ अब अपने बेटे की खाट के पास जाकर बोली- शर्म तो नही आती होगी,बाप अकेला जारा रात को पानी पे और तू नवाब होरा।अभी थोड़ी देर पहले तो फोन पे बोलरा था किसी से,अब इतनी नींद चढ़ गई तुझे ?
गुस्सा करती हुई चौधरन अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई।
इधर चौधरी साहब धीरे धीरे सावधनी से खेत की तरफ बढ़ रहे थे।
घना कुहरा,दिसंबर की शीतलहर और ऊपर से बाइक पर और ज्यादा हवा लग रही।
जंगल के रास्ते पे थोड़ा आगे पहुंचे ही थे कि रास्ते मे कुछ लोग खड़े दिखे।
एक बारगी तो डर के कारण भीतर तक सन्न हो गये लेकिन फिर भी आगे बढ़े,पास जाकर लोग पहचान में आ गये, दूसरे किसान थे जो पानी चलाने आये थे।
थोड़ी ही देर में खेत भी आ गया।
समर्सिबल वाले कोठे का ताला खोला और स्टार्टर चालू कर दिया,पानी चल गया तो बैटरी और फावड़ा लेकर खेत की तरफ नाके देखने चले गये।
थोड़ी देर में सन्तुष्ट हुए की पानी सही चल रहा है तो ईंख से थोड़ी पाती इक्कठा करके जला ली,बीड़ी जला कर बैठ गये।
तभी अचानक लाइट चली गई,
अब बिजली विभाग को, तत्कालीन सपा की सरकार को 10-20 गालियां चौधरी साहब ने दी और तापते हुए वापस बिजली आने का इंतजार करने लगे।
घण्टे भर के बाद वापस बिजली आई,
एक बार फिर खेत तक जाकर पानी देखा।
फिर 3 बजे घर के लिए निकल गये।
घर आते आते ठंड से बेहाल थे।
आते ही रजाई में दुबक गये और थोड़ी देर में सो गये।
लेकिन सुबह फिर 5 बजे जग गये।
उठकर घास काटा और गाय भैस को डाला,
चौधरन भी आ गई थी उसने आकर गाय का दूध निकालना शुरू किया,
चौधरी साहब गोबर बुग्गी में डालने लगे।
विशाल बाबू अभी तक मस्त सोये हुए हैं।
इसके बाद चौधरन ने फिर चाय बनाकर दी,
चाय पीकर बाहर घूमने निकल गये,
चौधरन चूल्हे के कामो में लग गई।
जिस दुकान से घर का राशन लेते थे,थोड़ी देर में उस दुकान वाले का नौकर आ गया।
चौधरन से बोला- चौधरी साहब कहाँ है ? सेठ जी पैसे मंगवा रे ।
चौधरन- भाई हमे भी चिंता है पर यो उत्ता, नाशगया मील वाला पेमेंट तो नि देरा।
सेठ का नोकर- पेमेंट तो पिछले साल का नही हुआ अब तक, दूसरी बार मील चले हुए भी 2 महीने हो गये, मील वाले के भरोसे उधार क्यों लेते हो, अपने भरोसे लिया करो।
दुकानदार का नौकर भी 4 बात सुना गया चौधरन को।
चौधरी साहब आये तो चौधरन ने सारा व्रतांत सुनाया।
चौधरी साहब कोई प्रतिक्रिया नही दे सके।
चौधरन को रोटी लाने को बोला।
रोटी खाकर दूध पीकर खेत मे जाने के लिए बुग्गी जोड़ ली।
चौधरन ने फिर विशाल को आवाज लगाई- अब तो उठजा बेशर्म,या बुग्गी लिकडेगी बाहर।
विशाल मुह बनाते हुए उठा,
बिस्तर और चारपाई हटाये।
चौधरी साहब बुग्गी लेकर निकल गये।
खेत मे पहुंचकर जैसे ही ट्यूबवेल की तरफ देखा तो सन्न रह गये।
ट्यूबवेल बन्द है और ट्यूबवेल के कोठे में किसी ने पाड़ दे रखी है।
दौड़ते हुए ट्यूबवेल के पास पहुंचे तो स्टार्टर गायब।
दिन होते होते पता चला कि कई और किसानों के यहाँ भी स्टार्टर की चोरी हुई है।
एक तो पहले से ही तंगी ऊपर से स्टार्टर का खर्चा।
ये चोरी का मसला आये दिन का हो गया था।
नया स्टार्टर लगाया तो अब पानी चलाकर घर नही आ सकते थे, सारी रात खेत मे ही बैठना पड़ता था,खेत भर जाये तो स्टार्टर खोलकर घर लाना पड़ता था, फिर अगले खेत की सिंचाई पर ले जाओ।
कुछ महीने बाद ही विधानसभा का चुनाव था।
इस बार चौधरी साहब ने भाजपा को वोट दी।
भाजपा की सरकार बन गई।
अब चौधरी साहब को रात में पानी पर ही नही जाना पड़ता क्योंकि किसानों को दिन में बिजली मिलती है।
चौधरी साहब ने अपना स्टार्टर उस पाड दिये गये कोठे में ही रखा है और किसी ने नही उठाया,
पहले तो मजबूत कोठे से चोरी हो जाता था।
चौधरी साहब का पेमेंट भी अब टाइम पर हो जाता है इसलिए सेठ का नौकर घर आकर जलील नही करता।
चौधरी साहब सर उठाके बिना किसी अतिरिक्त भसड़ के जी रहे है।
विशाल बाबू आजकल फेसबुक पर कट्टर किसानपुत्र बने हुए हैं,
भाजपा का पक्ष रखने वालों को गद्दार कहते हैं,
उनका बिरादरी से बर्खास्तगी का सर्टिफिकेट बनाते है।
वो लोग जो कल किसानों के स्टार्टर चुरा ले जाते थे आज हरि सफेद टोपी लगाकर यूनियनों की ट्रॉली में बैठकर मोदी-योगी मुर्दाबाद बोलने जाते हैं ताकि किसी तरह ये सरकार हटे और उनका धंधा फिर से चल जाये।
यूनियन वालो को अपनी ट्रॉली भरने से मतलब,
कौन ट्रॉली में बैठा है उन्हें क्या मतलब।
कैसा भी अपराधी हो जय किसान बोल दो बस उसके सिर पर हाथ रख दिया जाता है।
भाजपा Vs किसान
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